कभी सोचा न था... कभी सोचा न था...
हर पल तू सामने रहती गूंजते रहते कानों में तेरे ही शब्द - "जिन्दगी में कभी पीछे न हट हर पल तू सामने रहती गूंजते रहते कानों में तेरे ही शब्द - "जिन्दगी में ...
नील गगन तले विचरण को, तब स्वतंत्र कर देते हैं। नील गगन तले विचरण को, तब स्वतंत्र कर देते हैं।
प्यार का क्या है! प्यार का क्या है!
और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो। और तुम... तुम मुझमें रहकर भी मुझसे जुदा हो।
मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार। मां के ऋण से कोई कभी न उऋण हो सकता, चाहे कोई जीत ले सारा का सारा ही संसार।